Ashadha Gupt Navratri 2025 Date : आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं माता धूमावती देवी, माता काली देवी, माता त्रिपुरा देवी, तारा देवी, माता षोडशी देवी, माता छिन्नमस्ता देवी, भुवनेश्वरी देवी, माता बगलामुखी देवी, माता कमला देवी और माता मातंगी देवी की पूजा की जाती है। इस नवरात्रि सिद्धि और साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। पूरे वर्ष में चार नवरात्रि आती है, जिनमें से एक गुप्त नवरात्रि होती है। तंत्र मंत्र के साधक की इन दिनों में विशेष रूप से साधना रखते हैं। आइए जानते हैं इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तिथि
- आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है।
- प्रतिपदा तिथि की शुरुआत- 26 जून को गुरुवार को सूर्योदय के पूर्व से ही होगी।
- प्रतिपदा तिथि का समापन- 26 जून को दोपहर के समय 1 बजकर 25 मिनट पर होगा।
- आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 26 जून से शुरू होगी।
- गुप्त नवरात्रि का समापन 04 जुलाई को होगा।
- गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक रहेगी।
- घट स्थापना का शुभ मुहूर्त -ध्रुव योग और आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा।
- दुर्गा अष्टमी 3 जुलाई के दिन मनाई जाएगी।
- नवमी तिथि का समापन शाम के समय 4 बजकर 32 मिनट पर होगा।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि महत्व
हिंदू धर्म में आषाढ़ गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं और सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। मान्यता है कि महाविद्या सभी जीवित प्राणियों का पालन करती है। इन दस महाविद्याओं को तांत्रिक साधना में बहुत शक्तिशाली माना गया है इसलिए इस दिन तंत्र साधना के लिए विशेष पूजा की जाती है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।