Jagannath Rath Yatra 2025 : जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में निकाली जाती है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इसमें तीनों रथों का निर्माण किया जाता है। एक रथ में बलभद्र (भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई), दूसरे रथ में सुभद्रा (भगवान जगन्नाथ और बलभद्र की बहन), और तीसरे रथ में स्वयं भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं। यह यात्रा बहुत पवित्र मानी जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह यात्रा क्यों निकाली जाती है। आइए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी पौराणिक कथाएं।
1 - ऐसा माना जाता है कि एक बाद भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने द्वारका नगरी में भ्रमण करने की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद रथ पर तीनों भाई बहन ने नगर की के दर्शन किए। उनकी की स्मृति में यह यात्रा निकाली जाती है।
2 - दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का समुद्र किनारे अग्निदाह किया जा रहा था। उसी समय एक भयानक तूफान आया और तीनों के अधजले शव पूरी के तट पर पहुंच गए। वहां के राजा ने इन शवों को तीन रथों पर रखा और पूरी के लोगों ने स्वयं इन रथों को खींचा। जिसके बाद हर साल इस रथ यात्रा का आयोजन किया जाने लगा।
3 - तीसरी कहानी के अनुसार कुरुक्षेत्र के मैदान में राधारानी कृष्ण ने मिलने पहुंची और उन्हें वृंदावन आने का निमंत्रण दिया। जिसके बाद कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ वहां पहुंचे। तब वृंदावनवासियों ने और गोपियों ने उनका आदर सत्कार किया। घोड़ों को हटाकर उनकी रस्सियां खुद खींची। तब से यह परंपरा पूरी नगरी में भी चलने लगी।
4 - चौथी पौराणिक कथा है कि एक बार राजा इंद्रद्युम्न में विश्वकर्मा से मूर्तियां बनवाई तो इन मूर्तियों को बनाते हुए गुंडिचा ने देख लिया और यह मूर्तियां अधूरी ही रह गईं। जिसके बाद आकाशवाणी हुई कि भगवान इसी रूप में स्थापित होना चाहते हैं जिसके बाद इन अधूरी मूर्तियों को स्थापित किया गया। बाद में एक और भविष्यवाणी हुई की भगवान साल में एक बार अपनी जन्मभूमि मथुरा में जाएंगे। जिसके बाद हर सार इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया गया।