Jagannath Rath Yatra 2025 Date: जगन्नाथ रथ यात्रा का उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन से निकाली जाती है। इस यात्रा का बहुत महत्व होता है। इस यात्रा का आयोजन प्राचीन समय से हो रहा है। इस यात्रा में तीन रथ निकाले जाते हैं। जिनमें एक रथ भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र का होता है। दूसरा रथ स्वयं भगवान जगन्नाथ का होता है और तीसरा रथ भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा का होता है। इन तीनों रथों को गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। इन रथों का नाम होता है नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन है। इन रथों को ‘दारुक’ की लकड़ी से बनाया जाता है। इन रथों का निर्माण बिना किसी कील, कांटे या धातु के प्रयोग के अक्षय तृतीया के दिन से किया जाता है। जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कब से शुरु होगी जगन्नाथ रथ यात्रा और महत्व।
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत
- आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरु होती है।
- द्वितीया तिथि की शुरुआत - 26 जून 2025 को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से होगी।
- द्वितीया तिथि का समापन - 27 जून 2025 को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर होगा।
- साल 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत शुक्रवार 27 जून से होगी।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत महत्व होता है। इस यात्रा के दौरान भगवान स्वयं भक्तों के बीच दर्शन करने आते हैं। इस दिन बलराम जी, भगवान श्री कृष्ण और देवी सुभद्रा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, उसके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं इसलिए 15 दिन की अवधि तक विश्राम करते हैं। इनमें से 7 दिनों तक वह विश्राम करते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा में बलराम जी, भगवान श्री कृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन रथ बनाए जाते हैं। यह रथ दारु नामक नीम की लकड़ी से बनाए जाते है। इन रथों को बनाने में किसी भी धातू का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस धार्मिक यात्रा के दौरान सोने की झाड़ू से सफाई की जाती है। यह काफी प्राचीन परंपरा है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।