Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा विश्व भर में बहुत प्रसिद्ध है। इस रथ यात्रा में दूर दूर से भक्त शामिल होते हैं। यह यात्रा किसी सांस्कृतिक उत्सव से कम नहीं होती है। इस यात्रा में भगवान के दर्शन का बहुत महत्व होता है। रथ यात्रा के दौरान 3 रथ निकाले जाते हैं। इन तीनों रथों का निर्माण नीम की लकड़ी दारु से किया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा के रथ
जगन्नाथ रथ यात्रा काफी प्रसिद्ध है। इस यात्रा में तीन रथ बनाए जाते हैं। इन रथों का निर्माण अक्षय तृतीया से शुरू हो जाता है। इन रथों का निर्माण सावधानीपूर्वक किया जाता है क्योंकि इनमें किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तु या धातु का प्रयोग नहीं होता है। इन रथों को 3 किमी दूर स्थित गुंडीचा माता के मंदिर में ले जाया जाता है। इन रथों की रस्सी खींचना बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा के रथ के बारे में खास बातें।
नंदीघोष या गरुड़ध्वज रथ - यह रथ भगवान जगन्नाथ का भी होता है। इस रथ के 16 पहिए होते हैं। इस रथ को खींचने वाली रस्सी का नाम शंखाचुड़ा नाड़ी होता है। इस रथ का रंग लाल और पीला होता है। यह तीनों रथों में सबसे ऊँचा होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 42.6 से 45 फीट होती है।
तालध्वज रथ - यह रथ भगवान जगन्नाथ के भाई बलभद्र का होता है। इस रथ के 14 पहिए होते हैं और इस रथ की रस्सी को बासुकी कहा जाता है। इस रथ की ऊंचाई 43.3 फीट होती है। यह रथ लाल और हरे रंग का होता है।
दर्पदलन या पद्म ध्वज रथ - यह रथ भगवान जगन्नाथ और बलभद्र की बहन सुभद्रा का होते है। इस रथ के 12 पहिए होते हैं। इसे खींचने वाले रथ का नाम स्वर्णचूड़ा नाड़ी होता है। इसका रंग रंग लाल और काला या नीला होता है। इस पर इस रथ पर कमल का फूल बना होता है और यह नंदीघोष और तालध्वज के बीच चलता है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।