Narasimha Jayanti 2025 Date: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इसे नरसिंह चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है। नरसिंह श्री हरि के चौथे अवतार थे। उन्हें क्रोध अवतार भी कहा जाता है। भगवान विष्णु ने यह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। भगवान ने इस अवतार में अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
नरसिंह जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त
- नरसिंह जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
- चतुर्दशी तिथि की शुरुआत- 10 मई शाम 5 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी।
- चतुर्दशी तिथि का समापन- 11 मई रात 8 बजकर 2 मिनट पर होगा।
- नरसिंह जयंती 11 मई को मनाई जाएगी।
- पूजा का शुभ मुहूर्त- मई शाम 4 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा।
नरसिंह जयंती पूजा विधि
- नरसिंह जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- घर और मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें।
- एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- इस पर भगवान नरसिंह की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान को फूल, पंचामृत, नारियल, सूखे मेवे, केसर, फल, हल्दी, अक्षत अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं।
- नरसिंह कवच और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- इसके बाद आरती करें।
- चतुर्दशी तिथि समाप्त होने के अगले दिन पंचमी को व्रत का पारण किया जाता है।
नरसिंह जयंती का महत्व
नरसिंह जयंती को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। भगवान ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए राक्षसराज हिरण्यकश्यप का वध किया। हिरण्यकश्यप प्रहलाद के पिता थे। लेकिन प्रहलाद श्री हरि का भक्त था। यह दिन अहंकार, अत्याचार और बुराई पर भक्ति की विजय का प्रतीक है। इस दिन विधि पूर्वक भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।