PCOS problem treatment : एक मेडिकल प्रॉब्लम है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)। पीसीओएस महिलाओं में हार्मोन के लेवल को प्रभावित करती है। ऐसी स्थिति में, महिला का शरीर नार्मल से अधिक मात्रा में मेल हार्मोन का उत्पादन करने लगता है। पीसीओएस से पीरियड्स इर्रेगुलर हो जाते है। पीसीओएस प्रॉब्लम का सबसे बड़ा कारण है गर्भवती होने में कठिनाई होना। जो की किसी भी लेडी के लिए बहुत बड़ी समस्या है। यह हार्ट और डायबिटीज जैसी प्रॉब्लम के विकास को जन्म दे सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से शारीरिक परिवर्तन होते है। जैसे चेहरे और शरीर पर बालों का बढ़ना । साथ ही इस प्रॉब्लम से गंजापन भी हो सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम पीसीओएस कुछ अन्य मेडिकल और नॉन-मेडिकल समस्याओं की ओर ले जा सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से मोटापे के कारण स्लीप एपनिया हो सकता है साथ ही डिप्रेशन जैसी समस्या भी हो सकती है। एंडोमेट्रियल कैंसर हो सकती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे डायबिटीज और हाइपरलिपिडिमिया जो स्वयं कार्डिक संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है इस प्रॉब्लम की तरफ ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। PCOS में ये 4 योगासन कारगर हैं । हर बीमारी का इलाज योग से किया जा सकता है और तितली आसन PCOS में कारगर हैं
Butterfly Pose (तितली आसन)
Butterfly Pose (तितली आसन) करने के लिए अपने दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा कर के बैठ जाएं। Butterfly Pose (तितली आसन) में रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
अब पैरों को मोड़कर हाथों की उंगलियों को पैरों के पंजों के ऊपर लाकर आपस में मिला दें। ध्यान रखे इस दौरान शरीर से आपकी एडियां सटी हुई होनी चाहिए।
सांस लेते हुए दोनों पैरों को एक साथ ऊपर ले जाएं और फिर नीचे लाएं। आपको ऐसा 15-20 बार करना है।
Bhujangasana (भुजंगासन - कोबरा पोज़ )
भुजंगासन (कोबरा पोज़ ) करने के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। भुजंगासन (कोबरा पोज़ ) फन उठाए हुएँ साँप की की तरह लगता है, इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन है। अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें। इतना करने के बाद अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस अंदर खींचें और अपने सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें। इसके बाद अपने सिर को पीछे की तरफ खीचें और साथ ही अपनी छाती को भी आगे की तरफ निकालें। सिर को खींचकर रखें। लेकिन ध्यान दें कि आपके कंधे कान से दूर होने चाहिए और कंधे मजबूत बने रहें। इसके बाद अपने जांघों, हिप्स और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं। इस स्थिति में शरीर को करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें। लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं। इस मुद्रा को छोड़ने के लिए, अपने हाथों को धीरे-धीरे वापस साइड पर लेकर आएं। अपने सिर को फर्श पर आराम दें। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें। बाद में धीरे से अपने सिर को एक तरफ मोड़ लें और धीमी गति से दो मिनट तक सांस लें।
Naukasana (नौकासन)
नौकासन करने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ । दोनों पैरों को एक साथ जोड़ लें। दोनों हाथों को शरीर के साथ लगा ले।
गहरी लंबी साँस लें और साँस छोड़ते हुए हाथों को पैरों कि तरफ खींचे और अपने पैरों एवं छाती को उठाएँ।
ध्यान रहे आपकी आँखें, हाथों कि उंगलियाँ व पैरों कि उंगलियाँ एक सीध में होनी चाहिए।
नाभी में हो रहे खींचाव को महसूस करें।
गहरी साँसे लेते रहे और आसन को बनाये रखें।
साँस छोड़ते हुए, धीरे से ज़मीन पर आ जाएँ और आराम करें।
Malaasan (मलासन)
मलासन करने के लिए दोनों घुटनों को मोड़ते हुए मल त्याग करने वाली अवस्था में बैठ जाएं। फिर दोनों हाथ को मिला दें। उक्त स्थिति में कुछ देर तक रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।
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